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सुप्रीम कोर्ट ने CLAT-UG 2025 परिणाम संशोधन पर दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) 2025 के अंडरग्रेजुएट परिणामों की मेरिट सूची को संशोधित करने का निर्देश दिया गया था। यह फैसला न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर सुनवाई करते हुए दिया। ​


CLAT-UG 2025 परीक्षा 1 दिसंबर 2024 को आयोजित की गई थी, जिसके परिणाम 7 दिसंबर को घोषित हुए थे। परीक्षा के बाद, कई उम्मीदवारों ने प्रश्नपत्रों में त्रुटियों का आरोप लगाते हुए विभिन्न उच्च न्यायालयों में याचिकाएं दायर की थीं। इन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2025 में दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था।


23 अप्रैल 2025 को, दिल्ली हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने B, C और D सेट के प्रश्नपत्रों में चार प्रश्नों में त्रुटियां पाई थीं और निर्देश दिया था कि इन सेटों के उम्मीदवारों को उन प्रश्नों के लिए अंक प्रदान किए जाएं। हालांकि, A सेट के उम्मीदवारों को कोई राहत नहीं दी गई थी, क्योंकि उनके प्रश्नपत्र में ऐसी कोई त्रुटि नहीं पाई गई थी। ​



एक उम्मीदवार, जिसने A सेट के प्रश्नपत्र के साथ परीक्षा दी थी और ऑल इंडिया रैंक 22 प्राप्त की थी, ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उसका तर्क था कि हाईकोर्ट का आदेश A सेट के उम्मीदवारों के साथ भेदभावपूर्ण है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है।


सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज के कंसोर्टियम सहित सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 मई 2025 की तारीख निर्धारित की है। 


सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद, CLAT-UG 2025 की वर्तमान मेरिट सूची यथावत बनी रहेगी और परिणामों में कोई संशोधन नहीं किया जाएगा, जब तक कि अदालत अंतिम निर्णय नहीं देती। यह मामला प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में निष्पक्षता और समानता के सिद्धांतों के महत्व को रेखांकित करता है। सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय का इंतजार है, जो CLAT-UG 2025 के उम्मीदवारों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।​


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