राहुल गांधी के ताज़ा “वोट चोरी” आरोप
- Asliyat team

- Sep 19
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में भारतीय चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग और सत्ता पक्ष पर “वोट चोरी” के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मतदाता सूची में छेड़छाड़ संगठित और योजनाबद्ध तरीके से की जा रही है।
राहुल गांधी के मुताबिक कई राज्यों में वोटरों के नाम या तो फर्जी तरीके से जोड़े जा रहे हैं या फिर विपक्ष समर्थक इलाक़ों से बड़ी संख्या में हटाए जा रहे हैं। उन्होंने कर्नाटक के अलंद विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण दिया, जहाँ 2023 विधानसभा चुनावों से पहले लगभग छह हज़ार वोटरों के नाम कटवाने की कोशिश हुई थी। इसी तरह महाराष्ट्र के राजुरा क्षेत्र में करीब 6,800 फर्जी प्रविष्टियों का मामला सामने आया।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि यह सब एक विशेष “सॉफ्टवेयर सिस्टम” और फर्जी ऑनलाइन लॉगिन के ज़रिये हो रहा है। इसमें मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी और ओटीपी का दुरुपयोग कर मतदाता सूचियों में बदलाव किए जाते हैं। राहुल गांधी का दावा है कि यह प्रक्रिया दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यक समुदाय को अधिक प्रभावित करती है।
उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर भी आरोप लगाया कि वे ऐसे लोगों की रक्षा कर रहे हैं जो लोकतंत्र को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि राज्य की पुलिस / क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) ने चुनाव आयोग को पिछले लगभग 18 महीनों में 18 पत्र भेजे हैं, लेकिन आयोग ने अपेक्षित डिजिटल प्रमाण जैसे IP लॉग्स, OTP डेटा आदि उपलब्ध नहीं कराए। उन्होंने कहा कि दलित, आदिवासी, अन्य पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय को विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से माँग की है कि एक सप्ताह के भीतर सभी डिजिटल डेटा जैसे मोबाइल नंबर, आईपी एड्रेस और लॉग्स को सार्वजनिक किया जाए।
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जा सकता और हर व्यक्ति को सुनवाई का अधिकार दिया जाता है। वहीं भाजपा ने राहुल गांधी के आरोपों को राजनीतिक नौटंकी बताते हुए कहा कि कांग्रेस अपनी हार की वजहों को छिपाने के लिए निराधार बातें कर रही है। इस मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी राजनीति हो रही है। BJP का कहना है कि ये आरोप चुनाव हार के बाद दिए जा रहे हैं, कांग्रेस की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है।
यह विवाद अब राजनीतिक बहस का बड़ा मुद्दा बन चुका है। कांग्रेस इसे लोकतंत्र की बुनियाद पर हमला बता रही है, जबकि चुनाव आयोग और भाजपा इसे तथ्यों से परे मान रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इन आरोपों की स्वतंत्र जांच होती है या फिर यह मुद्दा केवल राजनीतिक बयानबाज़ी तक ही सीमित रह जाता है।







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