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सी.पी. राधाकृष्णन बने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति — 152 वोटों से मिली जीत

उपराष्ट्रपति द्वारा अपने एक्स अकाउंट पर साझा की गई तस्वीर
उपराष्ट्रपति द्वारा अपने एक्स अकाउंट पर साझा की गई तस्वीर

भारत ने नया उपराष्ट्रपति चुन लिया है। सी.पी. (चंद्रपुरम पोनूसामी) राधाकृष्णन ने 9 सितंबर को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की और आज पद की शपथ ली। वे भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बन गए हैं। शपथ ग्रहण समारोह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया।


चुनाव में राधाकृष्णन को 452 मत प्राप्त हुए, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 मत मिले। कुल 781 सांसद चुनावी मण्डल में शामिल थे, जिनमें से 767 सांसदों ने मतदान किया। इनमें से 752 मत वैध और 15 अमान्य पाए गए। साधारण बहुमत के लिए आवश्यक 377 वोटों से कहीं अधिक वोट हासिल कर राधाकृष्णन ने जीत दर्ज की।


यह चुनाव इसलिए हुआ क्योंकि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। वे इससे पहले महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल के रूप में भी सेवा दे चुके हैं।


शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, लोकसभा स्पीकर ओम बिर्ला समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। हाल ही में इस्तीफा देने वाले पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी समारोह में उपस्थित रहे, इस्तीफे के बाद यह उनका सार्वजनिक जीवन में वापसी का पहला अवसर था।


राजनीतिक दृष्टि से इस परिणाम ने विपक्ष की एकता पर सवाल खड़े किए हैं, क्योंकि राधाकृष्णन को अपेक्षा से अधिक वोट मिले, जिससे संकेत मिलता है कि कुछ विपक्षी सांसदों ने क्रॉस-वोटिंग की। उपराष्ट्रपति का पद संवैधानिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही व्यक्ति राज्यसभा के सभापति होते हैं और राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या पद रिक्त होने की स्थिति में कार्यकारी राष्ट्रपति की भूमिका निभाते हैं।


सी.पी. राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद पर आना उनकी राजनीतिक यात्रा का अहम पड़ाव है। यह सत्ता और विपक्ष दोनों की रणनीतियों की परीक्षा भी माना जा रहा है। अब देखना होगा कि वे आने वाले वर्षों में इस पद की गरिमा और संवैधानिक जिम्मेदारियों को किस तरह निभाते हैं।

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