यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा टली, धार्मिक नेताओं की मध्यस्थता से मिली राहत
- Asliyat team

- Jul 15
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केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में फांसी की सजा, जो 16 जुलाई को निर्धारित थी, अब स्थगित कर दी गई है। यह निर्णय भारत सरकार और यमन के धार्मिक नेताओं की संयुक्त कोशिशों के परिणामस्वरूप लिया गया है। निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी व्यवसायिक साझेदार तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था।
निमिषा प्रिया ने 2011 में यमन में नर्स के रूप में कार्य करना शुरू किया था। 2015 में, उन्होंने तलाल महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक खोला। हालांकि, महदी ने उनके साथ धोखाधड़ी की और उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया। 2017 में, प्रिया ने महदी को सिडेटिव्स देकर अचेत करने का प्रयास किया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, प्रिया और उनके सहयोगी ने महदी के शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में डाल दिया। उन्हें गिरफ्तार किया गया और 2018 में हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई।
भारत सरकार ने शुरू से ही निमिषा प्रिया की मदद के लिए प्रयास किए हैं। हालांकि, यमन में गृह युद्ध और राजनीतिक स्थिति के कारण सरकारी हस्तक्षेप सीमित था। हाल ही में, भारत के प्रमुख सुन्नी मुस्लिम नेता कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार ने यमन के प्रमुख सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हफिज से संपर्क किया। इन दोनों के प्रयासों से तलाल महदी के परिवार से संपर्क स्थापित हुआ और रक्तमूल्य (ब्लड मनी) के माध्यम से सजा में छूट की संभावनाएं बढ़ी।
हालांकि, तलाल महदी के परिवार ने अभी तक रक्तमूल्य स्वीकार नहीं किया है, लेकिन यमन के अधिकारियों ने सजा में स्थगन प्रदान किया है। भारत सरकार और धार्मिक नेताओं की संयुक्त कोशिशों से निमिषा प्रिया को अस्थायी राहत मिली है, और अब बातचीत जारी है। यह मामला भारतीय नागरिकों की विदेशों में सुरक्षा और कानूनी सहायता की आवश्यकता को उजागर करता है। निमिषा प्रिया की स्थिति में सुधार के लिए भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।








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