मल्लिकार्जुन खड़गे का भारतीय चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
- Asliyat team
- 7 hours ago
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में भारतीय चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि 2023 कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले आलंद निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं के नाम चुनावी सूची से हटाने की एक सुनियोजित साजिश रची गई थी। इस साजिश के तहत हजारों फर्जी आवेदन फार्म 7 तैयार किए गए, जिनके जरिये मतदाताओं को उनके अधिकार से वंचित करने की कोशिश हुई। खड़गे ने दावा किया कि इस मामले में करीब छह हजार के करीब आवेदन संदिग्ध पाए गए थे और फरवरी 2023 में इसकी शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके बाद कांग्रेस सरकार ने सीआईडी जांच के आदेश दिए।
खड़गे का आरोप है कि चुनाव आयोग ने शुरुआत में कुछ दस्तावेज साझा किए, लेकिन जैसे ही जांच आगे बढ़ने लगी, आयोग ने महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्यों और दस्तावेजों को उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर चुनाव आयोग अचानक इस मामले में सहयोग क्यों नहीं कर रहा है और क्या वह भाजपा के दबाव में काम कर रहा है। खड़गे ने तीखा तंज कसते हुए यह भी कहा कि आयोग कहीं भाजपा का "वोट चोरी विभाग" तो नहीं बन गया है।

इस पूरे विवाद के बीच कांग्रेस नेताओं ने चुनावी पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। प्रियंक खड़गे ने आरोप लगाया कि आलंद समेत कई क्षेत्रों में हजारों मतदाताओं को संगठित तरीके से सूची से हटाया गया। राहुल गांधी ने भी इसे सुनियोजित मत चोरी करार देते हुए सबूत पेश करने की बात कही और चेतावनी दी कि “हम आ रहे हैं।” मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी इन आरोपों का समर्थन किया और भाजपा पर चुनावी धांधली के संगठित प्रयास का आरोप लगाया।
दूसरी ओर चुनाव आयोग ने इन आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है। आयोग का कहना है कि इस तरह के बयान लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भ्रम और अराजकता फैलाने के लिए दिए जा रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार ने हाल ही में चुनाव नियमों में संशोधन कर कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों और सीसीटीवी रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराने की बाध्यता समाप्त कर दी है। कांग्रेस का आरोप है कि यह बदलाव चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को कमजोर करने और पारदर्शिता पर परदा डालने की कोशिश है।
खड़गे का मानना है कि इन हालातों में लोकतंत्र की रक्षा करना कांग्रेस की जिम्मेदारी है। उन्होंने जोर दिया कि हर नागरिक का वोट सुरक्षित रहना चाहिए और चुनाव आयोग की भूमिका निष्पक्ष व पारदर्शी होनी चाहिए। उनका आरोप है कि यदि चुनाव आयोग सरकार और भाजपा के दबाव में काम करेगा तो यह लोकतंत्र और मताधिकार दोनों के लिए खतरनाक साबित होगा।
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