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मनोज जरांगे-पाटील का मराठा आरक्षण आंदोलन

मनोज जरांगे-पाटील का आंदोलन वर्षों से सामाजिक न्याय के लिए चल रहा है—एक किसान परिवार से उठकर वे मराठा आरक्षण आंदोलन के एक प्रमुख चेहरे बन गए। अपने निजी बलिदान, भूख हड़ताल, धरना, मार्च और दबाव द्वारा उन्होंने आखिरकार 2 सितंबर 2025 को राज्य सरकार को उनकी प्रमुख माँग—मराठा को कुणबी की मान्यता देकर OBC आरक्षण नेटवर्क में शामिल करने—पर सहमत कर लिया। इस संघर्ष ने न्यायिक और प्रशासनिक प्रणाली को चुनौती दी और इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ दिया।


मनोज जरांगे-पाटील लगभग 15 वर्षों से मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े हुए हैं। इस आंदोलन का नेतृत्व करते हुए उन्होंने अपनी जीविका बचाने के लिए 2.5 एकड़ कृषि भूमि बेच दी। 2011 में शाहगड में शिवबा संघटना की स्थापना के बाद, उन्होंने 13 दिनों की भूख हड़ताल और पुलिस कार्यालयों के सामने धरने दिए। Jalna में भी कई प्रदर्शन कराए गए। 2016–17 में कोपर्डी कांड के विरोध में मारठा क्रांति मोर्चा के तहत आंदोलन, जिसमें जरांगे-पाटील प्रमुख थे। महाराष्ट्र सरकार द्वारा 2018 में दिया गया 16% आरक्षण (बाद में 13% नौकरी व 12% शिक्षा) को सुप्रीम कोर्ट ने मई 2021 में खारिज कर दिया, यह निर्णय आरक्षण की सीमा (50%) उल्लंघन के आधार पर था। इसके बाद आर्थिक रूप से कमजोर माराठों को EWS कोटा के तहत लाभ देने का आदेश था।


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अगस्त 2023 में जरांगे-पाटील ने अण्तरवली-सरठी गांव में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया, मांग: मराठा—कुणबी की पहचान, ताकि OBC कोटे का लाभ मिल सके। इस दौरान सरकार ने शिंदे मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की टीम भेजी, और उन्हीं के हाथों से उन्होंने उपोषण त्यागकर नारसंजीवन लिया। जनवरी 2024 में उन्होंने मुंबई की ओर मार्च शुरू किया, अंततः Chief Minister Eknath Shinde ने आश्वासन देकर उनके अनशन को समाप्त कराया। उनकी मांगों में शामिल थे:

  • पूर्ण आरक्षण का तुरंत कार्यान्वयन,

  • मृत्युपूर्व शिक्षा (KG से PG तक) की मुफ्त व्यवस्था (बच्चों को),

  • वर्तमान सरकारी भर्ती में ही मराठाओं के लिए आरक्षित सीटें,

  • राज्य में जारी 37 लाख कुणबी प्रमाणपत्रों का डेटा


जुलाई 2024 में सरकार की निष्क्रियता के कारण उन्होंने 20 जुलाई से एक और अनिश्चित अनशन शुरू किया। उन पर सरकारी हस्तक्षेप और अधिकारों को कमजोर करने के आरोप भी लगे; उन्होंने OBC नेताओं पर आरोप लगाए कि वे आंदोलन को रोके हुए हैं।


29 अगस्त 2025, मुंबई के Azad Maidan में फिर से अनशन शुरू हुआ, मांग वही जारी: कुणबी प्रमाणपत्र और OBC आरक्षण का लाभ। कोर्ट ने प्रदर्शनों को सीमित रखा (5,000 लोगों तक), लेकिन प्रदर्शन जारी रहा, हालाँकि Bombay High Court ने हटने का आदेश भी जारी किया। अनशन से स्वास्थ्य भी ठीक नहीं था। 2 सितंबर 2025 को सरकार ने उनकी माँगें मान लीं: Hyderabad Gazetteer और अन्य पुराण आधारित प्रमाणों की मान्यता से कुणबी प्रमाणपत्र जारी करने की घोषणा की गई। उनकी आंदोलन की यह उपलब्धि, न्यायसंगत प्रयास की मिसाल मानी गई, लेकिन National OBC Federation अब भी विरोध कर रहा है, कहते हैं कि यह "backdoor entry" है और OBC कोटा की सुरक्षा होनी चाहिए।


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