भारतीयों की रूस-सेना में भर्ती होने की घटनाएँ
- Asliyat team
- 11 hours ago
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रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान ऐसी खबरें आई हैं कि कुछ भारतीयों को गलत सूचना या धोखे के माध्यम से रूस की सेना से जुड़ी सेवाओं में शामिल किया गया है। इसमें “सहायक” या “हेल्पर” जैसे कामों की पेशकश की गई थी, लेकिन बाद में कुछ मामलों में उन्हें युद्ध क्षेत्र या उस से सटे इलाके में हेल्पर से आगे की भूमिका निभाने के लिए मजबूर किया गया।
कैसे हो रहा है भर्ती
आम तौर पर, ये व्यक्ति रूस जाने के लिए वीजा (स्टूडेंट, बिजनेस या टूरिस्ट वीजा) लेते हैं, और उन्हें किसी एजेंट या मध्यस्थ द्वारा “उच्च वेतन की नौकरी”, “सिक्योरिटी हेल्पर”, “कंस्ट्रक्शन वर्क” आदि का लालच दिया जाता है। दस्तावेज (कॉन्ट्रैक्ट) अक्सर रूसी भाषा में होते हैं, और उन्हें अच्छी तरह से समझाया नहीं जाता कि किस तरह की सेवा की जा रही है या क्या-क्या शर्तें होंगी। कई मामलों में पासपोर्ट या पहचान संबंधित दस्तावेज जबरदस्ती ले लिए जाते हैं, जिससे वे वापस लौटने या कानूनी सहायता लेने में असमर्थ हो जाते हैं।
कुछ भारतीयों ने बताया है कि उन्हें दस-पंद्रह दिनों की “प्रारंभिक ट्रेनिंग” दी गई, और फिर युद्ध क्षेत्र के करीब भेजा गया। कुछ को हथियार थमा दिए गए, कुछ को ट्रेंच खोदने या सैनिक कैंपों के आसपास काम करने के लिए लगाया गया। कई भारतीयों ने वीडियो भेजकर बताया है कि वे धोखे में आ गए हैं और अपनी जान को लेकर आशंकित हैं। कुछ की मौत हो चुकी है, कुछ घायल हुए हैं, और कई अभी भी फंसे हुए हैं।
भारत का विदेश मंत्रालय इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है और लगातार लोगों को सलाह दे रहा है कि वे ऐसे प्रस्तावों से बचें। सरकार ने रूस से संपर्क कर उन भारतीयों को छुड़ाने की प्रक्रिया शुरू की है जो धोखे या गलत जानकारी से भर्ती हुए हैं। रूस ने कहा है कि उन्होंने भारतीयों को स्वैच्छिक “सपोर्ट रोल” के लिए भर्ती किया है, न कि सीधे युद्ध में लड़ने के लिए। भारत सरकार ने सार्वजनिक चेतावनी जारी की है कि कोई भी भारतीय ऐसे एजेंटों या सोशल मीडिया के जरिए मिलने वाले प्रस्तावों पर भरोसा न करे।
आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, लगभग 100 भारतीयों को पिछले वर्ष में रूस की सेना में सहायक भूमिका के लिए भर्ती किया गया। इनमें से कुछ को रिहा किया गया, कुछ की मौत हो गई और कई अभी भी फंसे हुए हैं। विदेश मंत्री के अनुसार, कुल 91 भारतीयों की जानकारी है जिनमें से 8 की मौत हो चुकी है, 14 को रिहा किया गया है और शेष अब भी रूस में मौजूद हैं।
भारतीयों की रूस-सेना में भर्ती केवल एक मानवीय संकट ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय और कानूनी चुनौती भी है। यह ज़रूरी है कि सरकारें और एजेंसियाँ मिलकर काम करें ताकि धोखाधड़ी और जबरन भर्ती की ऐसी घटनाओं पर रोक लगे और प्रभावित भारतीयों को सुरक्षित घर लाया जा सके।
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