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भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते से कोल्हापुरी चप्पल और गोवा के फेनी को मिलेगा बड़ा बढ़ावा

भारत और ब्रिटेन के बीच 24 जुलाई 2025 को हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) ने भारतीय हस्तशिल्प और पारंपरिक उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार में प्रवेश के नए द्वार खोले हैं। इस समझौते के तहत, 99% भारतीय निर्यातों को ब्रिटेन में शुल्कमुक्त प्रवेश मिलेगा, जिससे कई हस्तनिर्मित और पारंपरिक उत्पादों को विशेष लाभ होगा। 


महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले की प्रसिद्ध कोल्हापुरी चप्पलें, जो पारंपरिक रूप से हस्तनिर्मित और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ होती हैं, अब ब्रिटेन के बाजारों में प्रवेश कर सकेंगी। इससे स्थानीय कारीगरों को वैश्विक पहचान मिलेगी और उनके उत्पादों की मांग में वृद्धि होगी। यह कदम महिलाओं और परिवार-आधारित कारीगर समूहों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का अवसर प्रदान करेगा।


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गोवा की पारंपरिक शराब 'फेनी' को भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त है, और अब यह ब्रिटेन के बाजारों में प्रवेश कर सकेगी। यह कदम भारतीय कारीगरों और उत्पादकों के लिए वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का अवसर प्रदान करेगा। ब्रिटेन में प्राकृतिक और जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए, फेनी जैसे पारंपरिक उत्पादों को लाभ होगा। 



इस व्यापार समझौते से अन्य भारतीय पारंपरिक उत्पादों को भी लाभ होगा, जैसे:

  • नासिक की कारीगरी वाइन: नासिक क्षेत्र की कारीगरी वाइन को GI टैग प्राप्त है और अब यह ब्रिटेन के बाजारों में प्रवेश कर सकेगी।

  • केरल का ताड़ी: केरल की पारंपरिक शराब 'ताड़ी' को भी GI टैग प्राप्त है, और यह ब्रिटेन के बाजारों में प्रवेश कर सकेगी।

  • कश्मीर का केसर: कश्मीर का प्रसिद्ध केसर भी GI टैग प्राप्त है और अब यह ब्रिटेन के बाजारों में प्रवेश कर सकेगा।

इस समझौते से भारतीय उत्पादों को वैश्विक पहचान मिलेगी, और स्थानीय कारीगरों और उत्पादकों के लिए आर्थिक अवसरों में वृद्धि होगी। यह कदम 'ब्रांड इंडिया' को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

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