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फ्रांस में 'ब्लॉक एवरीथिंग' आंदोलन ने मचाया बवाल

फ्रांस में आज देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों की आग भड़क उठी है। इस आंदोलन को "ब्लॉक एवरीथिंग" कहा जा रहा है और यह राजधानी पेरिस से लेकर बोρ्डो, ल्योन, नैन्तेस और मार्से तक फैल चुका है। सड़कों पर लोग भारी संख्या में उतर आए हैं और सरकार की नीतियों के खिलाफ गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।


प्रदर्शनकारी जगह-जगह सड़कों को रोक रहे हैं, टायर और कचरे के डिब्बे जला रहे हैं और कई इलाकों में आगजनी भी हो रही है। रेलवे स्टेशन और बस अड्डों के रास्तों को अवरुद्ध कर दिया गया है। पुलिस आंसू गैस का इस्तेमाल कर भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश कर रही है, लेकिन प्रदर्शनकारियों का आक्रोश कम नहीं हो रहा।


इस आंदोलन की जड़ें मई में ऑनलाइन शुरू हुई एक मुहिम से जुड़ी हैं, जिसमें पहले दक्षिणपंथी गुट शामिल थे। धीरे-धीरे छात्र, शिक्षक, ट्रेड यूनियन और वामपंथी संगठन भी इसमें जुड़ गए। यह आंदोलन अब सरकार की नीतियों के खिलाफ व्यापक असंतोष का प्रतीक बन गया है।


लोग बजट कटौती, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में कमी, पेंशन फ्रीज़ और राष्ट्रीय छुट्टियों को हटाने के फैसले का विरोध कर रहे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरो की सरकार विश्वास मत में गिर गई और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। सरकार में लगातार बदलाव से जनता की नाराज़गी और बढ़ गई है।


सुरक्षा के लिहाज़ से पूरे देश में करीब 80,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं, जिनमें से 6,000 सिर्फ पेरिस में हैं। पुलिस अब तक सैकड़ों लोगों को हिरासत में ले चुकी है और कई जगह झड़पें भी हो रही हैं। विशेषज्ञ इस आंदोलन की तुलना 2018–19 के "येलो वेस्ट" विरोध से कर रहे हैं, जो सोशल मीडिया से शुरू होकर बड़े पैमाने पर फैल गया था। यह आंदोलन भी बिना किसी केंद्रीय नेतृत्व के संचालित हो रहा है और इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है।


फ्रांस इस समय गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। आर्थिक दबाव, सामाजिक असंतोष और राजनीतिक अस्थिरता के बीच सरकार पर भारी दबाव है। विरोध प्रदर्शन लगातार तेज़ हो रहे हैं और हालात लंबे समय तक सामान्य होने के आसार नहीं दिख रहे।

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