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पहलगाम आतंकी हमले से पहले श्रीनगर में पर्यटकों पर हमले की खुफिया चेतावनी थी: अधिकारियों का खुलासा

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले से पहले, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने श्रीनगर और उसके आसपास के क्षेत्रों में पर्यटकों पर संभावित हमले की चेतावनी दी थी। अधिकारियों के अनुसार, यह इनपुट 19 अप्रैल के आसपास प्राप्त हुआ था, जिसमें विशेष रूप से श्रीनगर के बाहरी इलाकों, जैसे ज़बरवान रेंज के पास स्थित होटलों में ठहरे पर्यटकों को निशाना बनाए जाने की संभावना जताई गई थी।


इस चेतावनी के बाद, सुरक्षा एजेंसियों ने श्रीनगर के डल झील, दाचीगाम और निशात जैसे इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी थी। शीर्ष सुरक्षा अधिकारी इन क्षेत्रों में तैनात किए गए थे, और गंगनगिर तथा सोनमर्ग जैसे पर्यटन स्थलों पर भी सतर्कता बढ़ा दी गई थी।


हालांकि, पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए हमले ने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया। अधिकारियों के अनुसार, दो स्थानीय आतंकवादी पहले से ही पर्यटकों के बीच घुल-मिल गए थे, और जैसे ही पहले गोलियां चलीं, उन्होंने पर्यटकों को एक फूड कोर्ट परिसर की ओर धकेला, जहां दो अन्य आतंकवादियों, जो कथित रूप से पाकिस्तानी थे, ने 26 लोगों की हत्या कर दी।


इस हमले का उद्देश्य नागरिकों में भय पैदा करना और देश के अन्य हिस्सों में कश्मीरियों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक हमलों को उकसाना था। इस घटना के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है, और दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं।


इस हमले की जिम्मेदारी पहले 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली थी, लेकिन बाद में उन्होंने इसे एक "संचार त्रुटि" बताते हुए जिम्मेदारी से इनकार कर दिया। सरकार ने इस हमले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को जिम्मेदारी सौंपी है, और सुरक्षा एजेंसियां हमलावरों और उनके सहयोगियों की तलाश में जुटी हैं। इस बीच, कश्मीर के कई पर्यटन स्थलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, और पर्यटकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। यह घटना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चेतावनी है कि खुफिया इनपुट्स को और अधिक प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।

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