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दिल्ली मुख्यमंत्री की ‘जन सुनवाई’ कार्यक्रम की वापसी: सार्वजनिक जुड़ाव और सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था

लगभग दो सप्ताह बाद, जब दिल्ली मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) पर उनके जन सुनवाई कार्यक्रम के दौरान हमला हुआ था, उन्होंने बुधवार को अपने कैंप कार्यालय में पुनः इस कार्यक्रम का आयोजन किया — इस बार कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच।


हमले के परिप्रेक्ष्य में सुरक्षा की तैयारी

आक्रमण के बाद सुरक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार किए गए हैं। सुरक्षा प्रोटोकॉल में शामिल हैं:

  • पूरे कार्यक्रम स्थल पर पुलिस की रिंग बनाना,

  • सीसीटीवी और चेहरे पहचान (facial recognition) तकनीक का उपयोग,

  • पुरुष और महिला दोनों सुरक्षाकर्मी शामिल,

  • जन सुनवाई स्थल पर प्रवेश करने वालों की स्कैनिंग।

इसके अलावा, सीआरपीएफ द्वारा मुख्यमंत्री को 'ज़ेड' श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है — जिसमें 22–25 कमांडो राउंड-दि-क्लॉक सुरक्षा में तैनात हैं।


जन सुनवाई पुनः शुरू — जनता का जुड़ाव जारी

कार्यक्रम सुबह 8 बजे शुरू हुआ, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से आए नागरिक अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें। प्रत्यक्ष संवाद और शिकायत निवारण दो प्रमुख अंश रहे। मुख्यमंत्री ने एक बार फिर जन-सेवा की अपनी प्रतिबद्धता जताई — यह कार्यक्रम केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि जनता की आवाज सुनने और समाधान सुनिश्चित करने का माध्यम है।


SOP व विस्तार की शुरुआत

हमले के बाद, सरकार एक व्यापक SOP (Standard Operating Procedure) विकसित कर रही है, जिससे ‘जन सुनवाई’ कार्यक्रम अब दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में आयोजित किए जा सकेंगे। प्रारंभिक चरण के तहत, सबसे पहले एक उपयुक्त विधानसभा क्षेत्र का चयन कर कार्यक्रम का आयोजन होने की संभावना है।

पूर्व प्रशासक किरण बेदी ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा है कि "जन सुनवाई जैसी सार्वजनिक सुनवाई व्यवस्था शासन को क्रांतिकारी रूप दे सकती है।" उनका मानना है कि जनता से सीधे संवाद से शासन अधिक पारदर्शी व जवाबदेह बनता है।



मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सुरक्षा व्यवस्था को और मज़बूत करते हुए जन सुनवाई कार्यक्रम को फिर से शुरू कर सार्वजनिक जुड़ाव का महत्व दोहराया। यह कदम अधिकारियों की जवाबदेही और शिकायत निवारण प्रक्रिया को समयबद्ध रूप से लागू करने की दिशा में एक संकेत बनकर उभरा है। दिल्ली सरकार की योजना अब इस मॉडल को शहर के हर विधानसभा क्षेत्र तक विस्तार देने की है, ताकि जनता को सीधे संवाद और समाधान की सुविधा मिल सके।

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