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अफ़ग़ानिस्तान में भूकम्प और तबाही की मार


अफ़ग़ानिस्तान इन दिनों लगातार भूकम्पों की चपेट में है। पिछले सप्ताह आए 6.0 तीव्रता के भूकम्प के बाद गुरुवार रात को एक और बड़ा झटका महसूस किया गया जिसकी तीव्रता 6.2 मापी गई। इस प्राकृतिक आपदा ने तबाही का पैमाना और बढ़ा दिया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अब तक कम से कम 2,205 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि लगभग 3,640 लोग घायल हैं।


कूनर प्रांत की स्थिति सबसे भयावह है जहाँ लगभग 98 प्रतिशत भवन क्षतिग्रस्त हो गए या पूरी तरह ढह चुके हैं। पहाड़ी इलाकों, भूस्खलन और कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण राहत और बचाव कार्य बेहद धीमी गति से चल रहे हैं। स्थानीय लोगों को खुले आसमान के नीचे रातें गुजारनी पड़ रही हैं और बचे हुए परिवार सुरक्षित आश्रयों की तलाश में हैं।


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तबाही को और बढ़ाने वाले आफ्टरशॉक्स ने हालात बिगाड़ दिए हैं। 6.2 और 5.4 तीव्रता के दो शक्तिशाली झटकों ने करीब 6,700 घरों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि अस्थायी आश्रयों में भीड़ और अस्वच्छ परिस्थितियों के चलते स्वास्थ्य संकट गहराने की आशंका है। उन्होंने तत्काल 4 मिलियन डॉलर की आवश्यकता जताई है। संयुक्त राष्ट्र भी अब तक 10 मिलियन डॉलर जारी कर चुका है और एक बड़े आपातकालीन सहायता अभियान की तैयारी कर रहा है।


हालाँकि, राहत कार्यों के बीच धन संकट बड़ी बाधा बनकर उभर रहा है। विश्व खाद्य कार्यक्रम ने कहा है कि उनके पास उपलब्ध संसाधन केवल चार सप्ताह तक ही पर्याप्त होंगे। दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी समर्थन सीमित है। इस बीच क़तर की मंत्री मरियम अल मिसनद ने अफ़ग़ानिस्तान का दौरा किया। वह 2021 के बाद तालिबान-शासित देश में आने वाली पहली महिला मंत्री बनीं और उन्होंने मानवीय सहायता प्रदान की।

समग्र रूप से देखें तो अफ़ग़ानिस्तान इस समय गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है। लगातार आए भूकम्पों और आफ्टरशॉक्स ने न केवल हजारों जिंदगियों को निगल लिया है बल्कि लाखों लोगों को बेघर और असहाय भी बना दिया है। राहत कार्य जारी हैं, लेकिन सीमित संसाधनों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण हालात पर काबू पाना अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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