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अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी, मुस्कान के साथ स्वागत

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने आज, 15 जुलाई को भारतीय समयानुसार दोपहर 3:01 बजे, कैलिफोर्निया के तट पर प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन करके पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी की। यह उनकी 18 दिनों की अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर सफल यात्रा का समापन था। स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल 'ग्रेस' में सवार शुभांशु शुक्ला और उनके तीन सहयात्री अमेरिकी कमांडर पेगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोस्ज़ उज़नांस्की-विनिव्स्की और हंगरी के टिबोर कपु ने इस ऐतिहासिक मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। 


स्प्लैशडाउन के बाद, शुभांशु शुक्ला मुस्कुराते हुए कैमरे की ओर इशारा करते हुए कैप्सूल से बाहर निकले। उनकी यह मुस्कान न केवल उनके लिए, बल्कि उनके परिवार और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण था। उनकी मां, आशा शुक्ला, ने कहा, "मुझे बहुत खुशी है कि मेरा बेटा सुरक्षित वापस आया है। यह पल मेरे लिए अविस्मरणीय है।" उनके पिता, शंभू दयाल शुक्ला, ने कहा, "हमारे लिए यह गर्व का क्षण है कि शुभांशु ने इतिहास रचा है।"

लखनऊ स्थित उनके घर में परिवार और दोस्तों ने उनका स्वागत किया। घर को सजाया गया था और मिठाइयों के साथ उनका स्वागत किया गया। उनके भाई, विभांशु शुक्ला, ने कहा, "भैया ने इतिहास रचा है और हमें गर्व महसूस हो रहा है।" 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शुभांशु शुक्ला की इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी और कहा, "शुभांशु शुक्ला ने एक अरब सपनों को प्रेरित किया है। उनकी यह यात्रा भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।"



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इस मिशन के दौरान, शुभांशु शुक्ला ने सात महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें भारतीय स्ट्रेन के टार्डीग्रेड्स, म्योजेनेसिस, मेथी और मूंग बीजों का अंकुरण, साइनोबैक्टीरिया, माइक्रोएल्गी, फसल बीज और वॉयेजर डिस्प्ले शामिल थे। इन प्रयोगों से प्राप्त डेटा भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण होगा।  यह मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जाने वाले पहले भारतीय नागरिक हैं। उनकी इस यात्रा ने भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। 


शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। उनकी मुस्कान और आत्मविश्वास ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में हम किसी से कम नहीं हैं।

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