top of page

शशी थरूर ने सरकार के आतंकवाद विरोधी शिष्टमंडल पर कांग्रेस की आपत्तियों के बीच प्रतिक्रिया दी: "मैं कुछ नहीं कहने वाला"

कांग्रेस सांसद शशी थरूर ने केंद्र सरकार द्वारा गठित आतंकवाद विरोधी अंतरराष्ट्रीय शिष्टमंडलों में अपनी नियुक्ति को लेकर पार्टी के भीतर उठी आपत्तियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैं कुछ नहीं कहने वाला।" यह बयान उन्होंने विदेश सचिव विक्रम मिस्री द्वारा आयोजित संसदीय ब्रीफिंग के बाद दिया।


थरूर को सात सदस्यीय शिष्टमंडल का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है, जिसका उद्देश्य 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारत की आतंकवाद के प्रति 'शून्य सहिष्णुता' की नीति को वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत करना है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि सरकार ने उनके द्वारा सुझाए गए चार सांसदों की सूची को नजरअंदाज कर दिया और थरूर को शामिल किया, जबकि उनका नाम पार्टी की सूची में नहीं था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए थरूर ने कहा, "सरकार ने जिन्हें उपयुक्त समझा, उन्हें चुना।"


उन्होंने यह भी कहा, "मेरी पार्टी नेतृत्व को मेरे क्षमताओं या उनकी कमी के बारे में अपनी राय रखने का पूरा अधिकार है, और मुझे उस पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है।" थरूर ने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने सरकार से निमंत्रण मिलने के बाद पार्टी को इसकी जानकारी दी थी और उन्हें इस जिम्मेदारी को निभाने में कोई आपत्ति नहीं है। इस विवाद के बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सरकार पर "बेईमानी" का आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस अपनी सुझाई गई सूची में कोई बदलाव नहीं करेगी। 


केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस के दावों को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी से नामों की सिफारिश नहीं मांगी गई थी, बल्कि केवल शिष्टाचारवश राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को सूचित किया गया था। थरूर के इस बयान से स्पष्ट है कि वे इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने से बच रहे हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी इस पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रही है।

Comments


bottom of page