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फिल्म 'सरदार उधम' को ऑस्कर 2022 में न भेजने का कारण वाले बयान पर लोगों ने जताई नाराजगी।

Updated: Jan 27, 2022

फिल्म 'सरदार उधम' को जहां भारत में इतना प्यार मिल रहा है, जहाँ एक सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म को इतना ज्यादा पसंद किया जा रहा है, वहीं ऑस्कर 2022 के लिए इस फिल्म को स्वीकृति नही दी गई, यह कहकर की फिल्म अंग्रेजों के प्रति नफरत पैदा करेगी।


ऑस्कर फिल्मों की दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है और यहां पर कई देशों की फिल्मों को चुनकर शामिल किया जाता है और सभी फिल्मों के ऑस्कर तक पहुंचने के लिए एक प्रक्रिया होती है। वह यह है कि हर देश के 15 जूरी सदस्य होते हैं जो कई फिल्मों को देख कर उनमें से सबसे बेहतर फिल्म का चुनाव करके ऑस्कर में भेजते हैं लेकिन भारत के एक जूरी सदस्य के फैसले और बयान से विवाद पैदा हो गया।




विवाद की शुरुआत तब हुई जब भारतीय जूरी सदस्यों में से एक सदस्य जिनका नाम इंद्रदीप दासगुप्ता है। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान फिल्म का ऑस्कर में ना भेजने का कारण बताया। उन्होंने कहा :- 'फिल्म 'सरदार उधम' थोड़ी लंबी है और जलियांवाला बाग की घटना को बताती है यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक गुमनाम नायक पर एक भव्य फिल्म बनाने का ईमानदार प्रयास है, लेकिन इस प्रक्रिया में यह फिर से अंग्रेजों के प्रति हमारी नफरत प्रदर्शित करती है और वैश्वीकरण के इस युग में इस नफरत को थामे रहना उचित नहीं है।"


इंद्रदीप दासगुप्ता के बयान से मीडिया और सोशल मीडिया में इसका विवाद होने लगा उनके बयान में यह था कि फिल्म अंग्रेजों के प्रति हमारी नफरत को दिखाती है और यह सही नहीं है। और बयान को सुनकर लोगों ने कहा कि फिल्म में अंग्रेजों की सच्चाई दिखाई गई है और कुछ नहीं। और लोगों की बात एक तरह से सच भी है। वहीं कुछ लोगों ने कहा कि अगर 'स्लमडॉग मिलियनेयर' जैसी फिल्म जो भारत का गलत स्वरुप दिखाती है और ऑस्कर विजेता हो सकती है तो फिर 'सरदार उधम' में तो केवल सच्चाई ही दिखाई गई है।


आपको बता दें कि 'सरदार उधम' की ऑस्कर में न भेजने के फैसले के बाद अब एक तमिल फिल्म 'कूझांगल' को चयनित किया गया है। जूरी सदस्यों के अनुसार उन्हें यह फिल्म ऑस्कर में प्रदर्शित होने के लिए ज्यादा बेहतर लगी।

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